तंत्र शास्त्रों के अध्ययन करने से प्रतीत होता है कि उनके उद्देश्य विकृत नहीं हैं। कालक्रम से जिस प्रकार अन्य शास्त्रों और जाति संप्रदायों में अनेक प्रकार के दोष उत्पन्न हो गये, उसी प्रकार तंत्रों में स्वार्थी व्यक्तियों ने मिलावट करके अपने मतों का समर्थ करने के लिए ऐसे सिद्धांतों का प्रचलन किया जिन्हें घृणित समझा जाता है...