यह पुराण मुख्यरूप से त्रिविक्रम भगवान् विष्णु के दिव्य माहात्म्य का व्याख्याता है। इसमें भगवान् वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान हैं। इसके अतिरिक्त, शिवजी का लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरि का कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के…