श्री पराशर ऋषि-प्रणीत यह पुराण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसके प्रतिपाद्य भगवान् विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इसमें आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान् विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह…