Shrimad Valmiki Ramayam – Sundarkand (Sateek)
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Description
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होनेसे इसमें भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के सुन्दरकाण्ड का हिंदी टीका के साथ प्रकाशन किया गया है।
Shrimad Valmiki Ramayam – Sundarkand (Sateek) includes Rs. 110.00 as handling charges.
Additional information
Weight | 590 g |
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Name | Shrimad Valmiki Ramayam – Sundarkand (Sateek) |
SKU | GP028 |
Pages | 608908 |
Code | 1549 |
Author | Maharshi Valmiki Ji |
Format | Hardbound |
Language | Sanskrit Text with Hindi Translation |
Publisher | Gitapress, Gorakhpur |
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